इस पुस्तक को “मनोबोध से मन:शांति” यह नाम केवल आकर्षण के हेतु से नहीं दिया गया है। अशांत मन यह वर्तमान युग की ज्वलंत समस्या है। आत्यंतिक भोगवाद , गलाकाट प्रतियोगिता, पारिवारिक संस्थान की दुर्दशा, व्यसनाधीनता, युवा वर्ग की ध्येयहिनता इत्यादि समस्याएँ भस्मासुर की तरह हमारी संस्कृति को भस्म कर रही हैं। यह सारी चिंताएं अशांत मन से उत्पन्न होती हैं। मन यदि शांत हो तो यह सरे प्रश्न निश्चित ही सुलझ जायेंगे और अशांत मन को शांत करने का पूर्ण सामर्थ्य मनोबोध के २०५ श्लोकों में है। इसलिए, मन की अशांति के कारण तथा समर्थ रामदास जी के सुझाये मनोबोध के श्लोकों द्वारा निवारण, इनका मनोविज्ञान के आधार पर विवरण करने वाली यह पुस्तक आपके मन को शांत व सक्षम करने हेतु प्रस्तुत है।
मनोबोध से मन:शांति
इस पुस्तक को “मनोबोध से मन:शांति” यह नाम केवल आकर्षण के हेतु से नहीं दिया गया है।
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