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समर्थ रामदास और शिवाजी महाराज

छत्रपती शिवाजी महाराज धर्मसंस्थापक राजा थे| यही कारण है हम देखते है कि उन्होने अपने

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छत्रपती शिवाजी महाराज धर्मसंस्थापक राजा थे| यही कारण है हम देखते है कि उन्होने अपने जीवन में किसी भी प्रकारसे जीवनमूल्योंकी उपेक्षा नहीं की| यही कारण है की उनकी तुलना न किसी सीजर से की जा सकती है न किसी नेपोलियनसे न किसी लेनिनसे |उनकी किसीसे तुलनाही की जा सकती है तो वह श्रीराम या श्रीकृष्णसे ही की जा सकती है| तीसरा नाम खोजनेपर भी मुझे नहीं मिला| ऐसा यह राजा हमारे अंत:करण के सिन्हासनपर सदा के लिए आरूढ़ हो| यदि आपके मन में धर्म के बारेमे थोडा बहुत प्रेम हो,यदि इस राष्ट्र के बारेमे निष्ठा हो ,यदि आपके मन में पूर्वपुण्य तथा संस्कारों के कारण यह भावना जीवित हो की हम इस भारतमाता के ऋणी है तो आपके अन्तरंग में एकही मन्त्र सदैव गूँजता रहे और वह मन्त्र है शिवसमर्थ योग | तात्पर्य यह की श्री छत्रपति शिवाजी महाराज तथा समर्थगुरू रामदास ही हमारे देश या राष्ट्र के उद्धारक या त्राता है| ‘शिव’ का अर्थ है पावन तथा ‘समर्थ’ का मतलब होता है ‘शक्ति’| अगर कोईपावन व्यक्ति शक्तिशाली भी हो तो उसे ‘शिवसमर्थ’ योग समझना चाहीये| पर वास्तवमें हमेशा यही देखा जाता हैं कि खलप्रवृत्तिवाले लोग शक्तिशाली होते हैंऔर सज्जन हमेशा दुर्बल पाएं जाते हैं| वस्तुतः यह दुर्भाग्यवाली बात हैं, पर यह कड़वाहट भरी सच्चाई हैं| लेकिन हर्ष कि बात यह हैं कि समर्थ रामदासजीने तथा छत्रपती शिवाजी महाराजने समाजके सज्जनोको शक्तिशाली बनाया; सुसंघटित किया, और यही सच्चे अर्थ मैं शिवसमर्थ योग हैं|

Binding

Paperback

Language

Marathi

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Author

सुरेश तोपखानेवाले

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